Sunday, July 19, 2009

खींचतान....

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पूजता
धरा को
बीज नन्हा
और
गगन को
उठा-फैला
वृक्ष,
इसी
खीँच-तान के
चक्कर में,
बन जाता
मालिक
फल का,
कोई
जुदा सा
शख्स...

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