Saturday, July 11, 2009

निर्मोही

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( सोचा होगा ऐसा यशोधरा ने बुद्ध के पलायन के पश्चात)

उस नीरव
रात्रि में
छोड़ चले थे
तुम
मुझको और
अपने
प्राणप्रिय
राहुल को
ना जाने
किस
ज्ञान के
मोह में
निर्मोही बन....

कितना
विलाप
किया था
मैंने
तुम्हे खोकर
लगा था
सब कुछ
हो गया
रीता सा....

सोचा था
फिर
यह भी तो था
एक मोह
कर गये थे
कारण जिस के,
मुक्त तुम
हम को,
करने
तलाश
खुद अपनी
मुक्ति की.......

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