Thursday, August 27, 2009

क़र्ज़/Karz..........

पढ़ कर
चन्द किताबें
ले लेतें हैं हम क़र्ज़
बिन परखी
बिन समझी
अक्ल का
क्यों ना बना कर
खाद-ओ-बीज
उनको
खिलाएं चमन हम
अपने अंतर की
शक्ल का .........

Padh kar
Chand kitaben
Le lete hain hum karz
Bin parakhi
Bin samajhi
Akl ka
Kyon na banaa kar
Khad-o-beej
Unko
Khilayen chaman hum
Apne antar ki
Shakl ka.........

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