Tuesday, August 18, 2009

रोम रोम में/Rom Rom men.........

ताम्बे के कलश ने
आखिर पूछ ही
लिया था
मिटटी के घडे से:
"जल
मेरे साथ उष्ण
तुम्हारे संग शीतल
हो जाता है क्यों ?"
"बात बस इतनी ही है
तुम रखते हो उसे जुदा
और मैं तो
समा लेता हूँ उसे
रोम रोम अपने में"
दिया था उत्तर घडे ने........

Tambe ke kalash ne
Aakhir puchh hi liya tha
Mitti ke ghade se:
"Jal mere sath ushna
Tumhare sang sheetal
Ho jata hai kyon ?"
"Baat sbas itni hi hai
Tum rakhte ho use juda
Aur main
Sama leta hun use
Rom rom men apne."
Diya tha uttar ghade ne.....

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