Friday, October 15, 2010

भेद...

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चमचमाता
हीरा
समाया
धूल में,
लिपटा उससे
और
अँधा हो गया...
गन्दला सा
बीज
लिपटा
उसी धूल से,
खोल कर
आँखें अपनी
उठ आया
ऊपर
और
बन गया
जद,
तना.
डाल,
पत्ते,
फूल
और फल...
क्या
भेद
यही है
पात्र-अपात्र का,
प्रेम-अप्रेम का,
सजीव-निर्जीव का......?

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