Friday, April 9, 2010

पंगु.....

# # #
क्या
मनाना बुरा,
बातों का
उनकी,
जो
चला करते हैं
दूसरों की
उँगलियों के
सहारे,
न जाने
कितनी दफा
गिरते हैं
पड़ते हैं
और
अपनी
बेबसी पर
रोते,
बिलखते
सिसकते हैं,
(और)
पकड़ कर
फिर से
वही ऊँगली
बढ़ने लगते हैं
एक अबस से
सफ़र पर,
शायद
वे पंगु
समझने लगते हैं,
पांव अपने
दूसरों की
उँगलियों को.......

(अबस=निष्फल)

(and old write of mine, re-casted)

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