Wednesday, April 28, 2010

कापुरुष...

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कापुरुष
यम
करता है
घात
अदृश्य,
नहीं होता
पृथक
कबंध से
शीश,
नहीं दृष्टव्य
लेशमात्र रक्त,
यथावत
आवरण,
लूट गया
किन्तु
प्राण तत्व
उन्मुक्त...

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