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(१)
फफोले
दिल के मेरे
खामोश रहे
दर्द पी कर,
ज़ज्बात ने भी
ना की थी
सरगोशियाँ...
(२)
दिल मिले
हमारे तो
मुआमला था
दिल हमारों का,
क्यों किये थे
हमसाया
फजूल की
सरगोशियाँ...
(३)
जी रहे थे
सुकूं में
बेपरवाह से
हम,
बन गयी
चिंगारियां
अपनों की
सरगोशियाँ...
(१)
फफोले
दिल के मेरे
खामोश रहे
दर्द पी कर,
ज़ज्बात ने भी
ना की थी
सरगोशियाँ...
(२)
दिल मिले
हमारे तो
मुआमला था
दिल हमारों का,
क्यों किये थे
हमसाया
फजूल की
सरगोशियाँ...
(३)
जी रहे थे
सुकूं में
बेपरवाह से
हम,
बन गयी
चिंगारियां
अपनों की
सरगोशियाँ...
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