Saturday, March 13, 2010

दिनरात (१९) : वक़्त कुम्हार

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सितारों के
कतरों से
अँधेरे की
सूखी माटी को
किया था
मानो
गीला,
वक़्त कुम्हार ने
पौ फटने पर
रच लिया था
सूरज सा
दिया
सजीला.......

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