Saturday, March 20, 2010

इन्द्रधनुष..........

# # #
कर के
स्पर्श,
तोड़ दिया है
तू ने
मेरे
क्षितिज को,
उगाउंगी
कहाँ
मैं
अब,
इन्द्रधनुष
अपनी
कल्पना का....

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