Tuesday, March 16, 2010

दुर्घटना....

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हुआ है कब
समय ऐसा,
जब नहीं थे
राग द्वेष
हिंसा प्रतिहिंसा
शोषण दुराचरण ?
हुए हैं
प्रत्येक युग में
असमंजस और
पाशविकता से
परे
भावनाशील
विवेकी
कतिपय मानव,
करती रही है
संवेदना जिनकी
मार्गदर्शन
बहुजन का,
जब तक नहीं
घटी दुर्घटना :
बनाये गये
शब्द उनके
शास्त्र,
होने लगी
पूजा
अर्चना
स्तुति
उनकी :
साकार
निराकार
कैसी भी
प्रतिमा बना कर....

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