Wednesday, September 16, 2009

एक नसीहत सुबहा की/ Ae Naseehat Subaha Ki....

देख कर
उजास मेरा
गिरा दिया क्यों
होकर बेफिक्र
दीये को
कचरे की पेटी में,
बना कर
बेगाना........

Aek Nasihat Subaha Ki
Dekh kar
Ujas mera
Gira diya kyon
Ho kar befikr
Diye ko
Kachre kee peti men
Bana kar
Begana............

अरे नादाँ !
अँधेरा तो
किया करता है
पीछा हमेशा
उगते सूरज का,
यह तो है
झगड़ा रोज़मर्रा का,
नामुमकिन है
इसको मिटाना
अंजाम है यही
यही है
ठिकाना.........

Are Nadan !
Andhera to
Kiya karta hai
Peechha hamesha
Ugate suraj ka,
Yah to hai jhagda
Rozmarra ka
Namumkin hai
Isko mitana
Anzam hai yahi
Yahi hai
Theekana.......

चाहते हो
गर खैर
भोली नज़र की,
जोड़ दो उसको
एहसासों से
तजुर्बों से
जो दे रहा है
तुझको
ज़माना................

Chahte ho
Gar khair
Bholi nazar ki,
Jod do usko
Ehsasosn se
Tuzurbon se
Jo de raha hai
Tujhko
Jamana.......

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