..
राह नहीं
यह तो है
अजगर की लीक....
लौट जा पथिक !
नज़रें तेरी
अनाड़ी
पहचान है तेरी
जुगाड़ी
छुपा बैठा है काल
निज आँगन में
यह लीक
पहुंचा ना दे तुझे
मौत के आलिंगन में .......
ऐ जल्दबाज़ मुसाफिर !
लौट जा !
लौट जा !
नहीं है यह तेरी राह
पहुँचाने मंजिल को
कदम बढ़ने
से पहिले थाम ले तू
अपने दिल को...........
.....
राह नहीं
यह तो है
अजगर की लीक....
लौट जा पथिक !
नज़रें तेरी
अनाड़ी
पहचान है तेरी
जुगाड़ी
छुपा बैठा है काल
निज आँगन में
यह लीक
पहुंचा ना दे तुझे
मौत के आलिंगन में .......
ऐ जल्दबाज़ मुसाफिर !
लौट जा !
लौट जा !
नहीं है यह तेरी राह
पहुँचाने मंजिल को
कदम बढ़ने
से पहिले थाम ले तू
अपने दिल को...........
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