Tuesday, September 22, 2009

अश्रु : हिये का हार........

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अश्रुओं से गलता है
मैल मन का
हरता रीठा जैसे
वस्त्र खार को
मत बिसरा
आंसुओं को
मेरे मित्र !
रख ले सजा के
अनमोल से
हिये के इस
हार को.......

ashruon se galta hai
mail man ka
harta reetha jaise
vastra khaar ko,
mat bisra
aansuon ko
mere mitra !
rakh le saja ke
anmol se
hiye ke is
haar ko...........

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