दबी थी जब
नन्ही सी
एक चींटी,
काटा खाया था
उसने,
होकर व्यथित
तुझ को..............
ऐ दोस्त !
मत कर दमन
निज सोचों का,
पीड़ित हो
डस ना ले,
सोच तेरे ही
तुझ को.............
Dabi thi jab
Nanhi si aek chinti,
Kat khaya tha
Usne,
Hokar vyathit
Tujhko............
Aey Dost !
Mat kar daman
Nij sochon ka,
Peedit ho
Dass na le,
Soch tere hi
Tujh ko..................
Thursday, September 3, 2009
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