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Saturday, September 26, 2009
संगम..........
....
कर्म सरस्वती
जमुना भक्ति
ज्ञान है गंगा नीर,
सजगता श्रीकृष्ण
मीरा बंद नयन
खुली आँख कबीर....
त्रिवेणी संगम से
हो जाये प्राणी !
निर्मल पावन
आत्मा और शरीर...........
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