दिए शत्रु के
ज़ख्म का
करता समय
भराव..............
कहता
वक़्त को
निर्दयी
कैसा मनुज
स्वभाव..........
diye shatru ke
zakhm ka
karta samay
bharav.....
kahta
waqt ko
nirdayi
kaisa manuj
swabhav......
ज़ख्म का
करता समय
भराव..............
कहता
वक़्त को
निर्दयी
कैसा मनुज
स्वभाव..........
diye shatru ke
zakhm ka
karta samay
bharav.....
kahta
waqt ko
nirdayi
kaisa manuj
swabhav......
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