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Thursday, September 10, 2009
अपने पंख पसार....
# # #
देखा था
नीड़ बसी
चिड़ियाँ ने
गगन का
विस्तार,
पाकर उसको
निर्विकार,
चली थी
उड़
वो
अपने पंख
पसार....
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