Friday, September 25, 2009

संगम........

(नायेदा आपा से सुनी बात को शब्द दिए हैं )

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कर्म सरस्वती,
भक्ति यमुना,
ज्ञान है गंगा नीर,
सजगता
साक्षात् कृष्ण,
बन्द चक्षु मीरा
अंखियन खुली
कबीर....

विलय त्रय का
स्व अस्तित्व में
करे यदि
मनुज गंभीर,
त्रिवेणी संगम से
आत्मा निर्मल
हो जाती है
अमीर......

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