Saturday, September 19, 2009

दुष्प्रलाप........./Dushpralap.......

1)
गज की
संपुष्ट देह...
राजसी चाल
देख
भूंकते है
स्वान,
लख
दृश्य यह
कदापि
थूकते नहीं
इन्सान...........

Gaj ki
Sampusht deh
Rajasi Chaal
Dekh
Bhunkte hain
Swan,
Lakh
Drishya yah
Kadapi
Thookte nahin
Insaan..........

2)
घट नहीं सकता
सन्मान गज का
स्वानों के कुप्रलाप से,
क्यों चिंतित होता है मन
दुर्जनों के दुष्प्रलाप से.

Ghat nahin sakta
Sanmaan gaj ka
Swanon ke kupralap se,
Kyon chintit hota hai man
Durjanon ke duspralap se.......

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