Monday, May 10, 2010

बिगड़ी औलाद...

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नहीं है
कोई रिश्ता
आँख की बेटी
नज़र का
जुबाँ की
बिगड़ी औलाद
झूठ से...

यह पाजी
लड़की झूठ
होठों के
पायदानों से
उतर कर
चुपके से
पहुँच जाती है
जानिब
कच्चे कानों के,
ढुल मुल
शख्सियत वाले
ये दो लफंगे,
टरका देते हैं उसे
आगे से आगे,
और
खाख छान कर
पहुँच जाती है
रोते झींकते
फिर वहीँ,
हुयी थी
शुरु
जहाँ से...

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