Sunday, May 30, 2010

धीर वीर गंभीर....

तरु का तना

रहता है

मौन

धरे धैर्य

और गहनता,

और

पत्ते ?

चपल

चंचल

अस्थिर से...

देख कर

प्रकोप

ऋतु

पतझड़ का

भाग
खड़े होतें हैं,

किन्तु

तना

रहता है

स्थिर

धीर

वीर

गंभीर

पाने को

उपहार

ऋतु

बसंत से………

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