तरु का तना
रहता है
मौन
धरे धैर्य
और गहनता,
और
पत्ते ?
चपल
चंचल
अस्थिर से...
देख कर
प्रकोप
ऋतु
पतझड़ का
किन्तु
तना
स्थिर
धीर
वीर
गंभीर
पाने को
उपहार
बसंत से………
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