skip to main
|
skip to sidebar
Monday, May 31, 2010
सुई.........
# # #
छोडती है
सुई
साथ
धागे का,
मिलाकर
उसको,
उसके
अपने
परिवार से.....
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Mehaq Jindagi Ki
Followers
Blog Archive
►
2014
(13)
►
August
(11)
►
May
(2)
►
2012
(104)
►
October
(7)
►
September
(7)
►
August
(13)
►
July
(11)
►
June
(11)
►
May
(14)
►
April
(11)
►
March
(6)
►
February
(12)
►
January
(12)
►
2011
(101)
►
December
(10)
►
November
(19)
►
October
(14)
►
July
(2)
►
June
(4)
►
May
(11)
►
April
(14)
►
March
(10)
►
February
(9)
►
January
(8)
▼
2010
(317)
►
December
(7)
►
November
(18)
►
October
(28)
►
August
(12)
►
July
(1)
►
June
(50)
▼
May
(77)
सुई.........
कुबुद्धि का फल..
झूठ और सांच
निराकार साकार..
चूहादानी
सिल्ली मिस्टेक'
कृपण दिन..
कुदरत की गणित
लफ्ज़
दुनिया
मूठ...
शब्द
निर्जीव सजीव
आँख और पांख
लज्ज़त
अनछुआ शहद
चुगलखोर दिया
धीर वीर गंभीर....
आज़ाद है महक....
फिर बादल बना दिया...
शमा और धागा...
लाजवंती कविता.....
दीवारें....
तन्हा तन्हा...
प्राण प्रतिष्ठा...
भय...
संतान सत्य की....
छोटी छोटी बातें.....
गहरायी तक
फूल और शूल,अवगुण,अन्धकार और जूता
मुरली...
लोलुपता ....
हताशा...
पलायन...
निशान...
झूठ और सच ...
समदर्शी...
उंचाईयों की अन्धी आकांक्षाएं...
सुई और धागा..
अवसर
जीवन रस....
आईने की तरहा...
एहसास का सफ़र...
शम्मा हूँ मैं दुनिया की तेरी....
खामोश दुआ...
फर्क....
ऐ इश्क !
ज़हर...
सत्य शरीर का...
तरह...
अंजाम
रचना और शब्द...
जंग...
जो थी ही नहीं....
सवेरे सवेरे...
परे मानकों से...
अलख की पहचान...
बेरख्त ग़ज़ल......
अदीब...
मैं क्या चाहती हूँ............
ज्योति....
बिगड़ी औलाद...
परिचय...
धौंसबाज़
रिझ्यो छैलो....
पहचान....
जुनूँ है....( एक फास्ट ट्रेक नगमा)
दर्द को क्या जाने.
खींचतान....
अपना है ना पराया है………
रात-गुलशन.....
कैसा सवाल आया है.....
धनपति कौन ?
एक ही धर्म-स्वभाव
अक्स....(आशु रचना)
फूलों में महक बाकी है.
नभ और सागर
►
April
(42)
►
March
(36)
►
February
(10)
►
January
(36)
►
2009
(181)
►
December
(31)
►
November
(32)
►
October
(15)
►
September
(38)
►
August
(28)
►
July
(27)
►
June
(1)
►
April
(1)
►
March
(3)
►
February
(5)
Contributors
Mehaq Jindagi Ki
Vinod Singhi
No comments:
Post a Comment