Thursday, May 27, 2010

फूल और शूल,अवगुण,अन्धकार और जूता

(१)

फूल और शूल
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फूल के करीब है भीड़
शूल के करीब है छीड़
फूल बांटता है खुशियाँ
शूल बांटता है पीड़.

(२)

अवगुण....
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काँटा बाड़ का
बाड़ को नहीं खुबता
अपना अवगुण
खुद को नहीं चुभता.

(३)

अन्धकार और जूता
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जूते को
अँधेरे में
ना देख पाती आँख
महसूस कर उसको
पहचान लेता पांव.


(राजस्थानी लोकोक्तियों पर आधारित)

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