Thursday, May 13, 2010

अलख की पहचान...

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बात
गहरी है
अभेद की
सरल है
करते जाना
व्याख्या
प्रत्येक
भेद की......

अलख की
हो गयी है
जब से
पहचान
मुझ को,
ना रहा
तंगदिल
रिश्तों के
निभाव का
अरमान
मुझको....

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