Thursday, May 20, 2010

आईने की तरहा...

ऐ मौलवी!
ऐ पंडित
ऐ पादरी !

मुझको
बताना
मत
लिखा क्या है
तुम्हारी
किताबों में,
लगते हो
तुम सब
मुझे
सिखाये हुए
रट्टू तोतों की
तरहा...

मिलूंगी
मौत से
मैं
औरों की तरहा
और
लगाउंगी गले
जिंदगी को
बस
अपनी ही
तरहा....

लेना क्या है
मुझे
औरों की
नज़रों से,
दिल मेरा है
साफ़ है
आईने की
तरहा.....

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