Sunday, May 30, 2010

फिर बादल बना दिया...

कतरा हूँ में
आब का...
छूट
आसमान से
गिरा था
आगोश में
तेरे
अफ़सोस !
तुमने
मुझको
फिर
बादल
बना दिया...

No comments:

Post a Comment