Thursday, May 20, 2010

जीवन रस....

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पुष्प
और
कंटक,
प्रवाहित
दोनों में
एक ही
जीवन रस
पौधे का,
रचना
भिन्न
यद्यपि
फूल की ...
शूल की...

विखंडित बुद्धि
मानव की
नहीं देख पाती
समग्र रूप
सत्य का,
भेद-विभेद
करना
स्वभाव
जो है
मानव
मस्तिष्क का.....

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