Saturday, June 5, 2010

आशियाँ...

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उड़ते हैं
परिंदे,
आसमां में,
इस छोर से
उस छोर,
मगर
बना
नहीं
सकते
घोंसले
अपने
फलक में...

बनाने को
घर,
होता है
उतरना
जमीं पर,
खोजनी
होती है
पखेरुओं को,
शाख वह
जहाँ
तिनका
तिनका
जोड़
बना सकें
वो,
आशियाँ
अपना...

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