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Saturday, June 5, 2010
कांटे....
करता है
क्यों
अदावत,
काँटों से
अपना कर
उन को
बना ले
बाड़ तू,
करेंगे
रखवाली
बैरी नहीं
दोस्त
बन कर
तुम्हारे ही
खेत की
खलिहान की
घर की
और
गाँव की....
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