Saturday, June 5, 2010

बहता ठहरा पानी...

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देख कर
सामने
गड्ढे को
आ गया था
लालच
बहते पानी को,
सोचा था उसने :
क्यों नहीं कर लूँ
विश्राम तनिक ?
बदल डाली थी
उस ने
चाल अपनी
समां गया था
खड्ड में
बहता पानी
हो गया था
ठहरा पानी ;
वक़्त बीता
बन गया था
कीचड
फैलने लगी थी
बदबू....

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