Friday, June 18, 2010

भ्रमित मनोवृति....

(मधु संचय सिरीज-जून २०१०)

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रेत सूखी
लिए हाथों में
भींचते है
मुट्ठियाँ,
फेंकते
रसदार
हिस्सा
खा रहे हैं
गुठsठियाँ !

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