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More Notes To Myself : (१) जवाब (२) अविश्वास
(१)
जवाब
मैं तो हूँ
एक घाटी
जहाँ खड़े हो तुम
जो बोलोगे
बस
उसीको
पाओगे
जवाब में....
(२)
अविश्वास
शब्दों के भ्रम
नहीं दे पाते
सुख
मुझ को,
देखती हूँ जो
क्यों झूठ्लाये
जाते हैं वो....
यथार्थ
शब्दों और
आचरण का
जब
हो जाता है
भिन्न,
दे देता है
जन्म
अविश्वास को.....
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