Monday, June 7, 2010

सौगातें.....

# # #
बने हैं
हम
बैल
कोल्हू
के,

पड़ी है
नकेलें
शब्दों की,
होगी
विमुक्त
जब
चेतना,
मिलेगी
सौगातें
अशब्दों की.....

No comments:

Post a Comment